अपने वातावरण को रखें साफ

जम्मू राज्य के प्रीत नगर से हेमा पाठक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि हमारे आस पास के वातावरण को साफ सुथरा रखना चाहिए। जिससे हमें कोई भी बीमारियां न फैले। इन्होने कहा की हमें गीले कचड़े और सुखे कचड़े के लिए हमें एक डस्टबिन रखना चाहिए। यह भी कहा कि कूड़े कचड़े को इधर उधर फेंकने से अच्छा है की डस्टबिन में फेंके और ये भी याद रखे की फेंके हुए कचड़े से हम खाद बना सकते है। जिससे फुल और पौंधो में खाद डालकर उसे मरने से बचा सकते है और बिमारियों से दुर भी रह सकते है।

शिक्षित वर्ग करते हैं लड़के और लड़कियों में भेदभाव

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गांव से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ये पूर्णतः दृष्टिबाधित हैं और अभिलाषा विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।इनका कहना है कि शिक्षित लोगों एवं बड़े पदों पर आसीन लोगों के घरों में भी लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव किया जाता है।जब शिक्षित और सम्मानित वर्ग ही ऐसा करेगा तो अशिक्षित लोगों को हम क्या शिक्षा देंगे ?इस प्रकार जानबूझ कर हम भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं। पहले भेदभाव करने वाले शिक्षित लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी, बाद में माध्यम वर्ग इनसे सीख लेगा और अपनी सोच बदलेगा।समय के साथ कई लोगों की सोच बदली है, परन्तु इसमें अभी और कार्य होने बाकी है। साधु-संत,लेखक,कवी इत्यादि बुद्धिजीवी वर्ग को भी आगे आना होगा ,क्योंकि जनता और इनके अनुयायी इनकी बातों का अनुसरण करते हैं।साथ ही ऐसी फिल्म बनानी चाहिए जिसे देखकर लोगों की सोच बदले।

लड़की को मिलना चाहिए शिक्षा का अधिकार

मध्य-प्रदेश के छतरपुर से फिलाले नामदेव ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि गलत घटनाएं तभी रुक सकती है, जब हमारा समाज शिक्षित,समझदार,आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरा होगा।जब-तक समाज शिक्षित नही होगा,तब-तक बुरी घटनाएँ बंद नही होगी।साथ ही इनका कहना है कि शिक्षा का अधिकार लड़का और लड़की दोनों को मिलना चाहिए।शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों ने बहुत तरक्की की है,फिर भी परिवार में माता-पिता लड़कों को लड़कियों के मुकाबले ज्यादा प्रोत्साहित करते हैं।इनका विचार है कि लड़कियों को भी शिक्षा का पूरा अधिकार होना चाहिए।"मैं कुछ भी कर सकती हूँ " नामक धारावाहिक में भी शिक्षा पर जोर दिया गया है।सुझाव देते हुए इन्होने बताया कि धारावाहिक में अलग से शिक्षा के मुद्दे को उठाना चाहिए तथा लड़कियों को शिक्षित करने में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए।

लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने सम्बंधित देना चाहिए शिक्षा

मध्य-प्रदेश राज्य के छतरपुर से फिलाले नामदेव ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि धारावाहिक में बच्चों को दिए जाने वाले संस्कार विषय को भी शामिल करना चाहिए एवं जागरूकता फैलानी चाहिए।अभी समाज में माता-पिता बच्चों को घर पर छोड़कर दफ्तर चले जाते हैं ,इस बीच बच्चों के साथ कुछ अनहोनी हो जाती है तो ,जिंदगी भर के लिए अफ़सोस हो जाता है।साथ ही इनका विचार है कि स्कूल और कॉलेजों में लड़के को शिक्षित करना चाहिए एवं लड़कियों को भी ऐसा ज्ञान देना चाहिए कि वो आत्मनिर्भर हो सकें और किसी भी समस्या का सामना बहादुरी से कर सकें। सुझाव देते हुए इन्होने बताया कि जैसे "मैं कुछ भी कर सकती हूँ " नामक धारावाहिक डीडी नेशनल पर प्रसारित होता है, वैसे ही मोबाईल वाणी पर भी इसे प्रसारित होना चाहिए।क्योंकि टीवी सभी के पास उपलब्ध नही होती है मगर रेडियो और मोबाईल सबके पास होता है।धारावाहिक के बारे में बोलते हुए नामदेव ने कहा कि धारावाहिक की जितनी तारीफ की जाए वो काम है तथा डाक्टर स्नेहा लड़के और लड़कियों की शिक्षा पर बहुत जोर दे रही हैं। स्वच्छ भारत मिशन पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सभी के घर में शौचालय होना चाहिए।प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत का सपना हमें पूरा करना चाहिए।

धारावाहिक महिलाओं के साथ पुरुषों को भी देती है प्रेरणा

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाईल माध्यम से बताया कि ये दृष्टिबाधित हैं और अभिलाषा विद्यालय में शिक्षक के पद र कार्य कर रहे हैं।"मैं कुछ भी कर सकती हूँ " नामक धारावाहिक अति उत्तम है और यह धारावाहिक महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी को प्रेरणा देती है।महिलाओं को मनुष्य समझना चाहिए,क्योंकि जिस प्रकार ग्रहों में धरती सहनशील है,उसी प्रकार मनुष्यों में महिला सहनशील है। सदियों से महिलाएँ अत्याचार और अन्याय को सहती आई हैं तथा कभी भी इसका विरोध नही किया।साथ ही इनका विचार है कि महिलाओं की खामोशी को उनकी कमजोरी नही समझना चाहिए,बल्कि आज समय आ गया है कि मनुष्य होने के नाते उन्हें सभी अधिकार दिए जाएं।यह विडंबना ही है कि आज के समाज में शिक्षित लोगों की संकीर्ण मानसिकता देखने को मिलती है।इस संकीर्ण मानसिकता को बदलना होगा और महिलाओं को इन्सान की तरह जीने के लिए आजाद करना होगा। महिला और पुरुष एक समान हैं एवं दोनों के जरिए ये संसार चल रहा है।अतः ऐसा नही होना चाहिए कि एक को हम उठा कर रखें और दूसरे को दबा कर रखें।

धारावाहिक महिलाओं के लिए साबित हुआ है मील का पत्थर

हमारे श्रोता ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि "मैं कुछ भी कर सकती हूँ " नामक धारावाहिक महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है।वैदिक काल में महिलाओं को कई अधिकार प्राप्त थे,परन्तु धीरे-धीरे समय के साथ इनके अधिकार छीनते गए और महिला एक कठपुतली बन कर रह गई। इनका कहना है कि जमाने के साथ महिलाओं को आगे बढ़ाना है। महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त है,फिर भी दुर्भाग्यवश आज भी महिलाओं को अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। साथ ही श्रोता ने कहा कि इस प्रकार के धारावाहिक महिलाओं को संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं।महिलाओं के हौसले बढ़ाने के लिए इन्होने डाक्टर स्नेहा को धन्यवाद दिया।

प्रत्येक दिन रखें नारी को आजाद

उत्तर-प्रदेश राज्य के घोंडा से सुनील तिवारी ने बताया कि कानून ने महिलाओं को आजादी का अधिकार दिया है ,परन्तु वो आजाद पंछी की तरह उड़ सकें ऐसा अभी प्रतीत नहीं होता है। महिलाओं के ऊपर दबाव है और बोझ है।साथ ही इनका कहना है कि महिलाओं को एक दिन नही,बल्कि हफ्ते के सातों दिन उन्हें आजाद रखना चाहिए तथा उनके सुख-दुःख में साथ देना चाहिए।पुरुषों को महिलाओं को साथ ले कर बाहर जाना चाहिए।ऐसा करने से उनका मन प्रफुल्लित होगा और वो भी अपने मन को तरोताजा करेंगी .महिलाओं को बाहर जाने का मन करता है तथा विभिन्न प्रकार की जानकारी रखने के लालसा होती है। इसलिए ये चाहते हैं कि महिलाओं को एक दिन की आजादी नही,बल्कि हर दिन की आजादी मिले,जिसमें पति-पत्नी मिलकर साथ रहें। पति-पत्नी एक दूसरे के लिए हैं। लड़की नहीं होगी तो लड़का नहीं होगा,क्योंकि पूरी सृष्टि महिलाओं पर निर्भर है। महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।